
RANCHI, 3RD JANUARY (IANS) IN THE SERENE VILLAGE OF TAKRA NESTLED IN THE FORESTS OF KHUNTI DISTRICT 50 KM FROM RANCHI AMRU PAHAN AND RADHAMURI WERE BLESSED WITH A BOY ON 3RD JANUARY 1903 AND HE WOULD GROW TO BECOME JAIPAL SINGH MUNDA AN ICONIC FIGURE KNOWN FOR HIS EXTRAORDINARY TALENT, UNWAVERING PASSION AND CHARISMATIC PERSONALITY.
JAIPAL SINGH MUNDA CONTRIBUTION EXTENDED BEYOND SPORTS. HE WAS A BRILLIANT STUDENT, A KILLED ORATOR, A PROMINENT MEMBER OF INDIA CONSTITUENT ASSEMBLY, AND A RELENTLESS ADVOCATE FOR TRIBAL RIGHTS. THROUGH JHARKHAND OFFICIALLY BECAME A SEPARATE STATE ON 15TH NOVEMBER 2000 THE POLITICAL STRUGGLE FOR ITS CREATION BEGAN IN 1938 – 1939 UNDER JAIPAL SINGH MUNDA LEADERSHIP. TODAY ON HIS 123RD BIRTH ANNIVERSARY JHARKHAND REVERENTLY REMEMBERS ITS ILLUSTRIOUS HERO.
HIS SPORTING PROWESS EARNED HIM THE PRESTIGIOUS TITLE OF “OXFORD BLUE” IN 1925 MAKING HIM THE ONLY INTERNATIONAL HOCKEY PLAYER TO ACHIEVE THIS HONOUR. IN YEAR 1928 WHILE UNDERGOING ICS TRAINING IN ENGLAND, HE WAS APPOINTED AS A CAPTAIN OF THE OXFORD HOCKEY TEAM.
IN YEAR 1946 JAIPAL SINGH MUNDA WAS ELECTED TO THE CONSTITUENT ASSEMBLY WHERE HE CHAMPIONED THE CAUSE OF TRIBAL COMMUNITIES. POST INDEPENDENCE HE TRANSFORMED THE ADIVASI MAHASABHA INTO THE JHARKHAND PARTY IN 1949. THE PARTY PERFORMED REMARKABLY WELL IN THE FIRST LOK SABHA AND ASSEMBLY ELECTION OF YEAR 1952, BECOMING THE MAIN OPPOSITION IN THE BIHAR WITH A 32 SEATS IN THE ASSEMBLY.
IN YEAR 1963 JAIPAL SINGH MUNDA MERGED THE JHARKHAND PARTY WITH THE CONGRESS ON THE CONDITION THAT A SEPARATE JHARKHAND STATE WOULD BE CREATED. WHILE THIS PROMISE TOOK DECADES TO MATERIALISE HIS VISION AND EFFORTS LAID THE FOUNDATION FOR THE EVENTUALLY FORMATION OF JHARKHAND IN YEAR 2000.
JAIPAL SINGH MUNDA REMAINS AN ENDURING SYMBOL OF EXCELLENCE IN SPORTS, GOVERNANCE AND THE FIGHT FOR SOCIAL JUSTICE. HIS LIFE INSPIRING COUNTLESS PEOPLE, ESPECIALLY IN THE JHARKHAND, TO STRIVE FOR PROGRESS WHILE PRESERVING THEIR CULTURAL IDENTITY.
रांची, 3 जनवरी (आईएएनएस) रांची से 50 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के जंगलों में बसे शांत गांव टकरा में 3 जनवरी 1903 को अमरू पाहन और राधामुरी को एक पुत्र की प्राप्ति हुई और वह आगे चलकर जयपाल सिंह मुंडा बने। वह एक ऐसे महान व्यक्ति थे जो अपनी असाधारण प्रतिभा, अटूट जुनून और करिश्माई व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे
जयपाल सिंह मुंडा का योगदान खेल से भी आगे तक फैला हुआ है। वह एक प्रतिभाशाली छात्र, एक प्रसिद्ध वक्ता, भारतीय संविधान सभा के एक प्रमुख सदस्य और आदिवासी अधिकारों के लिए एक अथक वकील थे। 15 नवंबर 2000 को झारखंड आधिकारिक तौर पर एक अलग राज्य बन गया, इसके निर्माण के लिए राजनीतिक संघर्ष 1938-1939 में जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में शुरू हुआ। आज उनकी 123वीं जयंती पर झारखंड अपने महान नायक को श्रद्धापूर्वक याद करता है।
उनके खेल कौशल ने उन्हें 1925 में “ऑक्सफोर्ड ब्लू” का प्रतिष्ठित खिताब दिलाया और वे इस सम्मान को प्राप्त करने वाले एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी बन गए। वर्ष 1928 में इंग्लैंड में आईसीएस प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ऑक्सफोर्ड हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया।
वर्ष 1946 में जयपाल सिंह मुंडा संविधान सभा के लिए चुने गए, जहाँ उन्होंने आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा की। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने 1949 में आदिवासी महासभा को झारखंड पार्टी में बदल दिया। पार्टी ने वर्ष 1952 के पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया और 32 सीटों के साथ बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई।
वर्ष 1963 में जयपाल सिंह मुंडा ने झारखंड पार्टी का कांग्रेस में इस शर्त पर विलय कर दिया कि एक अलग झारखंड राज्य बनाया जाएगा। इस वादे को पूरा होने में दशकों लग गए, लेकिन उनके सपने और प्रयासों ने अंततः वर्ष 2000 में झारखंड के गठन की नींव रखी।
जयपाल सिंह मुंडा खेल, शासन और सामाजिक न्याय की लड़ाई में उत्कृष्टता के एक स्थायी प्रतीक बने हुए हैं। उनके जीवन ने अनगिनत लोगों को, खासकर झारखंड में, अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए प्रगति के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।